वैसे कारगिल विजय दिवस २६ जुलाई को मनाया जाता है।
पर अभी अभी मैं कश्मीर, कारगिल,लेह, लद्दाख आदि स्थानों पर घूम आई।
कश्मीर तो ख़ैर,चार बार गई, लेकिन कारगिल,लेह, लद्दाख पहली बार गई। यक़ीन मानिए कारगिल के युद्ध, सैनिकों, उनकी शहादत आदि के बारे में जानकार दिल में एक टीस सी उठी। देश पर कुर्बान होनेवाले उन जवानों के प्रति नतमस्तक होकर उनके बलिदान पर कोटि कोटि नमन करते हुए आंखें नम हो जातीं हैं।
कारगिल युद्ध, जिसे कारगिल संघर्ष के रूप में भी जाना जाता है। साल 1999 के मई-जुलाई के बीच जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ लड़ा गया था ,जिसमें भारत को जीत मिली थी ।इसलिए यह दिन कारगिल युद्ध के शहीद जवानों को समर्पित है। 3 मई 1999 को पाकिस्तान ने यह युद्ध तब शुरू किया जब उसने लगभग 5000 सैनिकों के साथ कारगिल के चट्टानी पहाड़ी क्षेत्र में घुसपैठ की, और उस पर कब्ज़ा कर लिया। जब भारत सरकार को इसकी जानकारी मिली तो भारतीय सेना द्वारा घुसपैठियों को वापस खदेड़ने के लिए ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया गया, जिन्होंने विश्वासघाती रूप से भारतीय क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया था। इस युद्ध में दुश्मन देश के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए खड़े होने वाले हमारे देश के वीरों को हम सलाम करते हैं। उनके बलिदान से ही यह युद्ध विजय में परिवर्तित हो पाया। अतः आज कारगिल पर कविता लिखने का मन हो रहा है-
पाकिस्तानी सेना को
किया परास्त,
करो याद भारत के
वीर जवानों को।
कारगिल की चोटी पर
लहराया तिरंगा,
उन देश भक्तों की
कुर्बानी को।
दुश्मन के सैनिकों को
मार गिराया,
नाकामयाब किया
उनकी चालों को।
श्रद्धा सुमन अर्पित
उन साहसी
निड़र भारत भूमि के लाडलों को।
बर्फ़ पर चलते दुश्मन को
मार गिराते ,रात जागते ,
देश की रक्षा करने को।
आंधी हो तूफान हो ,
या हो रेगिस्तान,
याद करो उन वीरों की
शहादत को।
देश के लोग सुकून से
सोते रात भर,
शत् शत् नमन ऐसे
पहरेदारों को।
तब वह खाते अपने
सीने पर गोलियां,
भूलों नहीं ऐसे देश के
रखवालों को।
प्राण दिये पर कर दी
दुश्मन की कोशिश नाकाम,
ओ सीमा के सजग प्रहरियों
शत् शत् तुम्हें प्रणाम।
दिया कारगिल युद्ध क्षेत्र में
जो तुमने बलिदान,
युगों-युगों तक याद रखेगा
उसको हिन्दुस्तान।
छक्के छुडा दिये दुश्मन के
जीना किया हराम,
धन्य धन्य पितु मातु तुम्हारे
धन्य तुम्हारा गाँव।
जिनकी गोदी में पले बढ़े
तुमसे ललना के पाँव,
जब तक सूरज चाँद रहेगा,
अमर रहेगा नाम।
पड़ा भागना पाक फ़ौज को
लेकर अपनी जान।
सौ के ऊपर पड़ा हिन्द का
भारी एक जवान।
अपने कर्मों का नवाज जी
भोग गये परिणाम।
कारगिल की पर्वत चोटी ,
दुश्मन था वहाँ ऊँचाई पर,
चोरी से घुस आया ,बुज़दिल था उतरा वह नीचाई पर।
वीरों ने धावा बोला और
मार फेंका गहराई पर।
देश गर्व करता है अपने
युवकों की तरुणाई पर।
वीर बांकुरों ने ललकारा ,
पर्वत चोटी थी ठण्ड भरी,
था सुभाष सा जोश ,
बुलंदी भगत सिंह सी खरी खरी। वीर शिवा जी राणा प्रताप की याद में ऑंखें क्रोध भरी।
मार भगाया दुश्मन को
भागी वो फौजें डरी डरी,
सन उन्नीस सौ निन्यानवे छब्बीस जुलाई विजय का दिन,
जोश भरा था वीरों में अवसर आया वह मन भावन।
कुर्बानी को याद किया
भावों में डूब गया हर मन।
कारगिल विजय दिवस पर गर्वित आज भी
होता है हर मन।
डॉ दक्षा जोशी
अहमदाबाद
गुजरात ।
